The Art of Living Case Study: एक आध्यात्मिक आंदोलन की सफलता की कहानी

Colleen Willy
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The Art of Living Case Study: भारत में ऐसे बहुत से संगठन और संस्थाएँ हैं जो समाज की सेवा के उद्देश्य से स्थापित की गई हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे संगठन होते हैं जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाते हैं। ऐसा ही एक संगठन है “Art of Living”, जिसे श्री श्री रविशंकर द्वारा 1981 में स्थापित किया गया था। मात्र कुछ दशकों में, यह संगठन भारत के सबसे बड़े और प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में उभरा है, जो न केवल भारत में बल्कि 180 से अधिक देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है।

Sri Sri Ravi Shankar का परिचय

Art of Living के संस्थापक, श्री श्री रविशंकर, जिन्हें उनके अनुयायी प्यार से ‘गुरुजी’ कहते हैं, का जन्म 1956 में दक्षिण भारत में हुआ था। मात्र चार वर्ष की आयु में उन्होंने भगवद गीता के श्लोक याद कर लिए थे। बेंगलोर यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में बीएससी और वैदिक लिटरेचर में डिग्री प्राप्त करने के बाद, गुरुजी ने 1982 में 10 दिन के मौन में सुदर्शन क्रिया की खोज की। यह क्रिया उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसने उन्हें इस आध्यात्मिक आंदोलन की नींव रखने के लिए प्रेरित किया।

Art of Living का विकास और विस्तार

Art of Living की शुरुआत केवल एक कोर्स से हुई थी, जिसे ‘हैप्पीनेस कोर्स’ के नाम से जाना जाता था। इस कोर्स का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को मेडिटेशन और सुदर्शन क्रिया सिखाना था। आज, Art of Living के पास 57 से अधिक कोर्सेस हैं, जो विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए हैं।

शुरुआत में, Art of Living ने केवल एक कोर्स पेश किया, लेकिन समय के साथ, यह संगठन विकसित होता गया और इसके पाठ्यक्रमों की संख्या में वृद्धि होती गई। संगठन ने पहले युवाओं के लिए ‘हैप्पीनेस प्रोग्राम फॉर यूथ’ शुरू किया, फिर उन्नत स्तर के लिए तीन दिवसीय ‘एडवांस कोर्स’ लॉन्च किया, जहां प्रतिभागियों को 60 घंटे का मौन धारण करना पड़ता है।

इसके बाद, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत की गई, जैसे कि ‘श्री श्री योगा’, ‘वाईएलटीपी’ (युवाओं के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण कार्यक्रम), और कॉर्पोरेट जगत के लिए विशेष कोर्सेस। आज, Art of Living के पास 75 से अधिक कोर्सेस हैं, जो हर उम्र, हर क्षेत्र, और हर तरह के लोगों को कनेक्ट करते हैं।

वैश्विक विस्तार

Art of Living की खास बात यह है कि इसका विस्तार केवल भारत तक ही सीमित नहीं रहा। 1983 में, Art of Living का पहला कोर्स स्विट्जरलैंड में आयोजित किया गया था, और फिर 1986 में अमेरिका में भी इसका आयोजन हुआ। गुरुजी का लक्ष्य था कि यह संगठन केवल भारत का नहीं, बल्कि विश्व स्तर का संगठन बने। आज, आर्ट ऑफ़ लिविंग के 180 से अधिक देशों में 10,000 से अधिक केंद्र हैं और 35,000 से अधिक शिक्षक हैं।

संगठन का संचालन और वॉलंटियर्स की भूमिका

Art of Living का सबसे बड़ा संबल इसके वॉलंटियर्स हैं, जो पूरे संगठन को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन वॉलंटियर्स में कुछ पूर्णकालिक होते हैं, जबकि अन्य पार्ट-टाइम आधार पर काम करते हैं। पार्ट-टाइम वॉलंटियर्स बिना किसी शुल्क के सेवा करते हैं, जबकि पूर्णकालिक वॉलंटियर्स को केवल नाममात्र की वेतन मिलता है।

गुरुजी ने एक विशेष प्रोग्राम ‘टीटीटी’ (ट्रेन द टीचर) लॉन्च किया, जिसके तहत 35,000 से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। ये शिक्षक विश्वभर के 10,000 केंद्रों पर Art of Living के कोर्सेस को नियमित रूप से संचालित करते हैं।

मार्केटिंग और फाइनेंस

Art of Living की मार्केटिंग की बात करें तो इसका सबसे प्रभावशाली तरीका ‘वर्ड ऑफ माउथ’ है। एक बार जब कोई व्यक्ति सुदर्शन क्रिया का अनुभव करता है, तो वह स्वयं ही दूसरों को इसके बारे में बताने लगता है। इसके अलावा, सोशल मीडिया के माध्यम से भी गुरुजी और आर्ट ऑफ़ लिविंग की उपस्थिति बेहद प्रभावशाली है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके डेढ़ करोड़ से अधिक फॉलोअर्स हैं, जो उनके संदेश को व्यापक रूप से फैलाते हैं।

Art of Living एक सेल्फ-सस्टेनेबल ऑर्गेनाइजेशन है। इसके विभिन्न कोर्सेस से प्राप्त होने वाली फीस, और ‘श्री श्री तत्वा’ के उत्पादों की बिक्री से संगठन को आर्थिक रूप से मदद मिलती है। ‘श्री श्री तत्वा’ के उत्पादों में फेस वॉश, साबुन और अन्य एफएमसीजी आइटम शामिल हैं। इसके अलावा, संगठन को दान के रूप में भी अच्छी खासी धनराशि प्राप्त होती है, जिसे वह विभिन्न सेवा परियोजनाओं में निवेश करता है।

सेवा परियोजनाएं

Art of Living के सेवा कार्यों में शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, और समाज सुधार शामिल हैं। संगठन 1,262 फ्री स्कूल संचालित करता है, जिसमें 1 लाख से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जो ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से आते हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे ऐसे हैं जो पहली बार स्कूल जा रहे हैं।

पर्यावरण के क्षेत्र में, Art of Living ने 70 से अधिक नदियों का पुनरुद्धार किया है, 8 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए हैं, 18 वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट्स स्थापित किए हैं, और 22 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती के तरीके सिखाए हैं।

इसके अलावा, संगठन ने विश्व शांति और वसुदेव कुटुंबकम के सिद्धांत पर काम करते हुए युद्ध क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। Art of Living ने 60,000 से अधिक युद्ध पीड़ित बच्चों को विशेष कोर्सेस के माध्यम से पुनः स्थापित किया है, और 700 से अधिक आतंकवादियों और मिलिटेंट्स को मुख्यधारा में वापस लाने में मदद की है।

Sri Sri Ravi Shankar के 10 Facts

  1. गुरुजी केवल तीन से चार घंटे सोते हैं और उनका दिन सुबह 4:30 बजे से शुरू होता है। उनके व्यस्त शेड्यूल को मैनेज करने के लिए पांच सेक्रेटरी लगे हुए हैं।
  2. गुरुजी एक साल में कम से कम 40 देशों की यात्रा करते हैं और 6 महीने देश से बाहर रहते हैं।
  3. गुरुजी के पास इतने पासपोर्ट्स हैं कि अगर उन्हें एक के ऊपर एक रखा जाए, तो एक पूरी शेल्फ भर जाएगी।
  4. यूएस और कनाडा के 29 शहरों में ‘श्री श्री रविशंकर दिवस’ मनाया जाता है, जो उनके नाम पर पूरा दिन समर्पित होता है।
  5. गुरुजी को सात भाषाएं आती हैं और वे वीणा बजाने में भी निपुण हैं।
  6. गुरुजी को दुनिया की 26 अलग-अलग यूनिवर्सिटीज़ से डॉक्टरेट की डिग्रियाँ प्राप्त हुई हैं।
  7. उनका नाम ‘श्री श्री’ का अर्थ है “सम्माननीय” और ‘रविशंकर’ का अर्थ है “सूर्य का आभास”।
  8. गुरुजी ने 1982 में 10 दिन के मौन में सुदर्शन क्रिया की खोज की, जिसने उनके जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया।
  9. उनके पास मानवता की सेवा के लिए एक असीम ऊर्जा है, जो उनके अनुयायियों को प्रेरित करती है।
  10. गुरुजी के अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है, और वे उनके द्वारा सिखाई गई शिक्षा को दुनिया भर में फैलाने में जुटे हुए हैं।

Art of Living का सफर एक छोटे से कोर्स से शुरू हुआ था, लेकिन आज यह एक विशाल संगठन बन चुका है जो दुनिया के 180 से अधिक देशों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। गुरुजी की अटूट दृढ़ता और उनके अनुयायियों के समर्पण ने इस संगठन को उस मुकाम तक पहुंचाया है, जहां यह आज खड़ा है। Art of Living न केवल एक आध्यात्मिक आंदोलन है, बल्कि यह एक मिशन है, जो विश्व शांति, मानवता की सेवा, और वसुदेव कुटुंबकम के सिद्धांतों को साकार करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।

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