Devara: Part 1 एक तेलुगू फिल्म है, जिसमें N.T. राम राव जूनियर और सैफ अली खान मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह कहानी एक तटीय गांव की है जहाँ दो मजबूत आदमी, देवर और भैर, अपने-अपने मकसद के लिए संघर्ष करते हैं। फिल्म एक साधारण बदले की कहानी पर आधारित है लेकिन इसे 178 मिनट तक खींचा गया है। चलिए, इस फिल्म की कहानी, पात्रों, और इसके निर्देशन पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
Devara और Bhaira
देवरा (N.T. राम राव जूनियर) और भैर (सैफ अली खान) दो तटीय गांव के ताकतवर आदमी हैं। ये दोनों समुद्र में जहाजों से अवैध सामान ले जाने का काम करते हैं, जो हथियारों के तस्करों द्वारा उन्हें दिया जाता है। इस गैरकानूनी व्यापार ने पूरे गांव को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। हालांकि, जब देवरा को इस बात का अहसास होता है कि वे जो कर रहे हैं, वह कितना खतरनाक है, तो वह इस काम को छोड़ने का फैसला करता है।
देवरा कहता है कि अब से समुद्र में केवल मछली पकड़ने के लिए ही जाया जाएगा। लेकिन भैर इस फैसले से खुश नहीं है, क्योंकि वह अपने हार से पहले ही चिढ़ा हुआ है। गांव के एक टूर्नामेंट में देवरा से हारने के बाद भैर बदला लेने की कसम खाता है।
Bhaira की साजिश और देवरा की वापसी
फिल्म की शुरुआत में, भैर और उसकी गैंग एक योजना बना रहे हैं कि कैसे देवरा को पकड़ें, जो कई सालों से गांव से गायब है। उन्हें उम्मीद है कि देवरा अपनी बीमार माँ से मिलने जरूर आएगा, और वे उसके लिए एक जाल बिछाते हैं। लेकिन फिल्म में भैर की योजना में कुछ गंभीर खामियां हैं। जब देवरा अपनी माँ से मिलने आता है, वह पिछले दरवाजे से आता है और फिर उसी रास्ते से चला जाता है।
इस सीन को देखकर लगता है कि भैर और उसकी गैंग ने योजना बनाते समय पूरी सोच नहीं लगाई है। अगर वे सचमुच देवरा को पकड़ना चाहते थे, तो उन्हें दोनों दरवाजों पर पहरा देना चाहिए था। बाद में, फिल्म इस सीन को समझाने की कोशिश करती है, लेकिन इससे मामला और भी बिगड़ जाता है।
Vara का किरदार और उसकी चुनौती
फिल्म में एन.टी. राम राव जूनियर डबल रोल में हैं। देवरा के बेटे वारा का किरदार भी उन्होंने ही निभाया है। वारा का व्यक्तित्व अपने पिता से बिल्कुल अलग है। वह भयभीत और अनिश्चित है, जबकि देवरा निडर और निर्णायक है।
हालांकि, एन.टी. राम राव जूनियर इस दोहरी भूमिका में खास फर्क नहीं दिखा पाते। वारा का किरदार न तो अच्छी तरह से लिखा गया है और न ही प्रभावी ढंग से निभाया गया है। यह डबल रोल न केवल कहानी में कमजोर है, बल्कि इसका निष्पादन भी निराशाजनक है।
एक साधारण कहानी को लंबा खींचने की कोशिश
Devara: Part 1 की कहानी काफी सीधी है: दो साथियों का झगड़ा और बेटे का पिता की विरासत को संभालना। निर्देशक कोरताला शिवा ने इस साधारण कहानी को 178 मिनट तक खींचने की कोशिश की है। हालांकि, फिल्म में इतने लंबे समय तक चलने का कोई औचित्य नहीं है।
फिल्म की कहानी को तीन वाक्यों में समेटा जा सकता है, लेकिन इसे जबरन विस्तार दिया गया है। सिवा ने न तो पात्रों की गहराई में जाने की कोशिश की है और न ही सेटिंग को अच्छी तरह से दिखाने का प्रयास किया है।
कभी-कभी दिलचस्प, कभी-कभी बेतुका एक्शन
हालांकि, फिल्म में कुछ एक्शन सीक्वेंस हैं जो दिलचस्प हैं। फिल्म में एक सीन है जहां भैर देवरा पर हमला करने के लिए शार्क का उपयोग करता है। यह सीन थोड़ा हास्यास्पद लगता है लेकिन फिर भी मनोरंजक है।
सबसे अच्छा सीन वह है जब देवरा पर समुद्र तट पर हमला होता है। कुछ गुंडे समुद्र से निकलते हैं और कीचड़ की तरह फिसलते हुए उसके पास आते हैं। देवरा जब उन्हें मारता है, तो उनके फटे कपड़े धीमी गति में समुद्र के शैवाल की तरह लहराते हैं।
फिल्म में एक सीन है जिसमें देवरा का रक्त का एक धारा अर्धचंद्राकार चांद के आकार में बदल जाता है। यह तेलुगू सिनेमा के बेतुके और हिंसक काव्य का एक बेहतरीन उदाहरण है।
महिला पात्रों की भूमिका
जाह्नवी कपूर का किरदार, थंगम, फिल्म में केवल वारा के बारे में बात करने के लिए मौजूद है। यह किरदार तेलुगू सिनेमा में महिला पात्रों की पारंपरिक भूमिका का प्रतीक है। फिल्म की अन्य महिलाएं भी इस क्लिच से बच नहीं पातीं। कुछ महिलाएं त्याग करने वाली माताएँ हैं, एक अंधी बहन है, और एक सेक्स वर्कर है जिसे अचानक मार दिया जाता है।
Bhaira के किरदार में सैफ अली खान की अभिनय क्षमता का सीमित उपयोग
सैफ अली खान का किरदार भैर एक पल्प विलेन की तरह है। हालांकि, फिल्म में उनकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं किया गया है। उन्होंने तान्हाजी (2020) में एक बेहतरीन विलेन का किरदार निभाया था, लेकिन यहाँ उन्हें ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिला है।
प्रकाश राज और शाइन टॉम चाको जैसे अनुभवी अभिनेता भी फिल्म में केवल अपने चेक लेने के लिए उपस्थित प्रतीत होते हैं। उनके किरदारों में गहराई की कमी है, और वे फिल्म में कोई खास छाप नहीं छोड़ पाते।
फिल्म की कमज़ोरियाँ
Devara: Part 1 एक अधूरी और आधी-अधूरी फिल्म है। निर्देशक कोरताला सिवा ने कहानी को गहराई से दिखाने की बजाय सतही एक्शन और ड्रामा पर जोर दिया है। फिल्म की लंबाई इसका सबसे बड़ा दुश्मन है।
178 मिनट की यह फिल्म कई बार अपनी दिशा खो देती है, और यह देखना मुश्किल है कि दर्शकों को अगली कड़ी में क्या नया मिलेगा। कहानी में नयापन या गहराई की कमी है, और ऐसा लगता है कि फिल्म बस लंबी करने के लिए खींची गई है।
Devara की अगली कड़ी: क्या उम्मीदें?
फिल्म का अंत यह संकेत देता है कि इसकी अगली कड़ी भी आ सकती है। लेकिन अगर अगली कड़ी में भी यही ढर्रा चलता रहा तो यह दर्शकों को और निराश कर सकती है। फिल्म को एक ठोस कहानी और बेहतर चरित्र निर्माण की आवश्यकता है।
यदि निर्देशक कोरताला सिवा अगली कड़ी में कुछ नया और रोमांचक लाने में सफल होते हैं, तो शायद दर्शकों को इसमें दिलचस्पी हो। लेकिन फिलहाल, Devara: Part 1 एक अधूरा प्रयास है जो दर्शकों को पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता।
Devara: Part 1 एक ऐसी फिल्म है जो एक साधारण बदले की कहानी को खींचने की कोशिश करती है, लेकिन न तो इसे गहराई से दिखा पाती है और न ही दर्शकों को बांधे रख पाती है। फिल्म में कुछ दिलचस्प एक्शन सीक्वेंस हैं, लेकिन वे भी कहानी की कमजोरी को छिपाने में नाकाम रहते हैं।
फिल्म की लंबाई और कमजोर पटकथा इसे एक अधूरा प्रयास बनाते हैं। सैफ अली खान और N.T. राम राव जूनियर जैसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं के बावजूद, फिल्म में खास प्रभाव नहीं छोड़ पाती।
अगली कड़ी से कुछ बेहतर उम्मीद की जा सकती है, लेकिन इसके लिए निर्देशक कोरताला सिवा को कहानी और चरित्रों पर अधिक ध्यान देना होगा।
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